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ईशावास्यम् इदं सर्वम् ,
यत् किन्चित् जगत्यां जगत् ।
तेन त्यकतेन भुन्जीथ ,
मा गृधः कस्यविद् धनम् ।।
(ईशोपनिषद्)
इस विश्व में जो कुछ भी (जीवित व मृत) वस्तुएँ उपलब्ध हैं, उन सभी में ईश्वर का वास है । अत : हे मनुष्य ! तुम इन वस्तुओं का त्याग पूर्वक उपभोग करो और किसी के धन का लालच मत करो ।
शिक्षा: हमारे रृषियों द्वारा यह दर्शन ७००० वर्ष पूर्व 'पशु-जगत' से लिया गया है जिसमें एकत्र करने की प्रवृति को मना किया गया है ।
ईशावास्यम् इदं सर्वम् ,
यत् किन्चित् जगत्यां जगत् ।
तेन त्यकतेन भुन्जीथ ,
मा गृधः कस्यविद् धनम् ।।
(ईशोपनिषद्)
There is the abode of God in all the materials living or dead which are available in this world. We should consume them with the sense of detachment and we should not be greedy of other's wealth.
Moral: This philosophy was taken by our sages 7000 years ago from 'Animal Kingdom' which denounces hoarding.
इस विश्व में जो कुछ भी (जीवित व मृत) वस्तुएँ उपलब्ध हैं, उन सभी में ईश्वर का वास है । अत : हे मनुष्य ! तुम इन वस्तुओं का त्याग पूर्वक उपभोग करो और किसी के धन का लालच मत करो ।
शिक्षा: हमारे रृषियों द्वारा यह दर्शन ७००० वर्ष पूर्व 'पशु-जगत' से लिया गया है जिसमें एकत्र करने की प्रवृति को मना किया गया है ।
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