Vyas

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Wednesday, 3 June 2015

Use of Knowledge, Wealth and Power

20 -
विद्या विवादाय धनं मदाय,
शक्ति: परेषां परपीडनाय ।
खलस्य: साधो: विपरीतमेतद्,
ज्ञानाय दानाय च रक्षणाय ।।

For crooked  persons; 'Knowledge' is meant for arguments, 'Wealth' is meant for his ego and 'Power' is meant to trouble others. Opposite is true in case of  noble persons whom 'Knowledge' is meant for wisdom, 'Wealth' is meant for donations and 'Power' is meant for protecting weak people.

दुर्जन लोगों के लिए; 'विद्या' विवाद के लिए, 'धन' घमण्ड करने के लिए और 'शक्ति' कमज़ोर लोगों को दुखी करने के लिए होती है । जबकि सज्जन लोगों के लिए; 'विद्या' ज्ञान के लिए, 'धन' दान के लिए और 'शक्ति' कमज़ोर लोगों की रक्षा के लिए होती है ।

18 comments:

  1. It is not correct translation

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  2. आप बहुत उत्कृष्ट शश्रेणी का कार्य कर रहे हैं। आज हमारे देश मे नैतिक मूल्यों का बहुत तीव्र गति से क्षरण हो रहा है. ऐसे समय मे आपका यह प्रयास गिरावट पर विराम लगाने मे सक्षम होगा. मेरी शुभकामनाएं http://www.vichaarpaksha.com

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  3. Dhanyavaad or thank you for the subhashitam.

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  4. I love sanskrit

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  5. यह श्लोक मुझे हर परिस्थिति में धैर्य रखने की प्रेरणा देता है । प्रथम बार कक्षा 6 की संस्कृत की पाठ्य पुस्तक (उत्तर प्रदेश वर्ष 1976 ) में मैंने पढ़ा था। लेकिन यह श्लोक आज भी सही है । मुझे बहुत दुख है कि आज ब्राह्मण भी दुर्जन हो गया है। वह शराब पीता है मांस खाता है और अहंकारी है । जबकि उसका ज्ञान अत्यंत सीमित है। खाली पैसा कमाने और भोग मैं लगा है। जबकि हम दधीचि और भृगु की संतान हैं। अगर हिन्दू धर्म का पतन हो रहा है तो ब्राह्मण ही मुख्य रूप से उत्तरदायी है । क्योंकि ब्राह्मण का कर्तव्य समाज को सही राह दिखाना है न कि केवल पैसा कमाते रहना और भोगों में लिप्त रहना । शंकराचार्य एवम चाणक्य की याद आती है । यदि केवल ब्राह्मण कमर कस ले तो ही भारत विश्वगुरु हो जाएगा। बाकी तो सभी ब्राह्मणों का ही अनुसरण करते हैं।

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