मृगाः मृगैः संगम् उपव्रजन्ति,
गावश्च गोभि: तुरगास्तुरगैः ।
मूर्खश्च मूर्खैः सुधयः सुधीभिः,
समानशील व्यसनेषु सौख्यम् ।।
( चाणक्य नीति )
In this world friendship always goes well with equals and like-minded i.e. Deer with deer, cows with cows, horses with horses, fools with fools, wise with wise and so on.
इस संसार में एक समान दिखने वाले एवं विचार वाले लोगों के बीच मित्रता होती है । जैसे हिरन का हिरन के साथ, गाय का गाय, घोड़े का घोड़े, मूर्ख का मूर्ख, बुद्धिमान का बुद्धिमान के साथ मित्रता होती है ।
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