आयुष: क्षण एकोअपि ,
न लभ्य: स्वर्ण कोटिभि: ।
स चेत् निरर्थकं नीत: ,
का नु हानि: ततो अधिका ।।
( चाणक्य नीति )
Even a precious moment of our Life cannot be purchased by thousands of gold coins. If one moment is wasted, what would be more loss compared to this ?
जीवन का एक क्षण भी कोटि स्वर्णमुद्रा देने पर भी नहीं मिल सकता । वह यदि नष्ट हो जाय तो इससे अधिक हानि क्या हो सकती है ?
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