सर्प: क्रूर: खल: क्रूर: ,
सर्पात् क्रूरतर: खल: ।
मन्त्रौषधिवश: सर्प: ,
खल: केन निवार्यते ।।
( चाणक्य नीति )
The snake is cruel and the wicked person is also cruel. But the wicked person is more cruel compared to the snake. Because the snake's poison can be controlled by medicine and mantras, but how can wicked person be controlled ?
साँप क्रूर होता है और दुष्ट व्यक्ति भी क्रूर होता है । फिर भी दुष्ट व्यक्ति साँप की अपेक्षा अधिक क्रूर होता है । क्योंकि साँप का विष तो मन्त्र और औषध से वश में आ सकता है, किन्तु दुष्ट व्यक्ति का कैसे निवारण किया जाय ?
No comments:
Post a Comment