मूर्खा: यत्र न पूज्यन्ते ,
धान्यं यत्र सुसंचितम् ।
दंपत्यो कलह: नास्ति,
तत्र श्री: स्वयम् आगत: ।।
( चाणक्य नीति )
In a house, where fools are not honoured; where there are enough stocks of food; where there is no conflict between husband and wife; there Lakshmi comes by her own.
उस घर में, जहाँ मूर्खों की नहीं सुनी जाती ; जहाँ धान्य का पर्याप्त भंडार है ; जहाँ पति एवं पत्नी में कभी कलह नहीं होती , वहाँ लक्ष्मी स्वयं आती है ।
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