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स: हि भवति दरिद्रो,
यस्य तृष्णा विशाला ।
मनसि च परितुष्टे ,
को अर्थवान् को दरिद्रा ।।
(चाणक्य नीति)
The person becomes poor if he has great desire. But the person who is mentally satisfied, wealth and poverty have no meaning for him.
वही व्यक्ति दरिद्र है जिसकी इच्छाएँ बहुत बड़ी हैं । किन्तु जो व्यक्ति मन से संतुष्ट है उसे धन और दरिद्रता का कोई मूल्य नहीं ।
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