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Wednesday 16 December 2015

' राम-राम ' बोल कर अभिवादन करने का महत्व


आपनें कभी सोचा है कि लोग जब मिलते हैं तो आपस में एक दूसरे को दो बार 'राम-राम' बोल कर अभिवादन क्यों करते  हैं ? उत्तर भारत में दो बार 'राम-राम' बोलने की परिपाटी प्राचीन काल से चली आ रही है ।

हिन्दी वर्णमाला 'कटपयादि पद्धति' पर आधारित है । अर्थात अंक वर्णमाला में वर्णों के क्रम से निर्धारित होते हैं ।  इस पद्धति में ‘र' सत्ताईसवाँ  शब्द है । 'आ' की मात्रा दूसरा और ‘म' पच्चीसवाँ शब्द है । अब तीनों अंकों का योग करें तो 27 + 2 + 25 = 54, अर्थात एक 'राम' का योग 54 हुआ ।  इसी प्रकार दो  'राम-राम' का कुल योग 108 होता है ।

 ब्रह्माण्ड में व्याप्त भचक्र (zodiac) के 360 डिग्री के चक्र को 27 नक्षत्रों में प्रत्येक में 4 चरण के मान से 108 भागों में बाँटा गया है । प्रत्येक भाग का मान 3 डिग्री 20 मिनट है । इसीलिए जब हम जाप करते हैं तो 108 मनके की माला गिनकर करते हैं, जिससे भचक्र (zodiac) का एक चक्र  पूरा हो जाए ।

मात्र ' राम-राम' कहने से ही पूरी 108 मनके की माला का जाप पूर्ण हो जाता है । 


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