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दुर्जनेन समं सौख्यम् ,
प्रीतिं च अपि न कारयेत् ।
उष्णो दहति च अँगार: ,
शीत: कृष्णायते करम् ।।
( चाणक्य नीति )
One should never do the love and friendship with the wicked persons. Because they are like a piece of burning coal which, if hot burns your hand and if cold blackens your hand.
दुर्जनों के साथ प्रेम और मित्रता कभी नहीं करनी चाहिए । क्योंकि वे उस अँगारे के समान हैं जो गर्म होने पर तो आपके हाथ को जला देता है और ठण्डा होने पर आपके हाथ को काला कर देता है ।
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